THE BASIC PRINCIPLES OF SIDH KUNJIKA

The Basic Principles Of sidh kunjika

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शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ।

देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि ॥ ९ ॥

श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि

चाय वाले को बनाया पिता और टेस्ट ड्राइव के बहाने उड़ाई बाइक, आगरा में शातिर चोर का गजब कारनामा

अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ॥ १४ ॥

श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्

अगर किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र कर रहे हैं तो हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर जितने पाठ एक दिन में कर सकते हैं उसका संकल्प लें.

श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)

येन मन्त्र प्रभावेण, चण्डी जापः शुभो भवेत।।

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।

ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं. धन लाभ, विद्या अर्जन, शत्रु पर विजय, नौकरी में पदोन्नति, अच्छी सेहत, कर्ज से मुक्ति, यश-बल में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ण होती more info है.

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